भारत के 10 सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी
1. मेजर ध्यानचंद , हॉकी का जादूगर
उपलब्धियाँ–
- ओलंपिक में 3 स्वर्ण पदक (1928, 1932, 1936)
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 400 से अधिक गोल
नमस्कार दोस्तों ,जैसा की आप सभी जानते हैंTop 10 Indian Hockey Players of All Time || भारत के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी”|मेजर ध्यानचंद को भारतीय हॉकी का सबसे बड़ा नाम माना जाता है। उनकी स्टिक से गेंद जैसे चिपक जाती थी। 1928 ओलंपिक में उनके 14 गोल और 1936 में जर्मनी के खिलाफ 6 गोल उनके करियर के सुनहरे पन्ने हैं। उनकी खेल शैली ने भारत को हॉकी की दुनिया में बेजोड़ पहचान दिलाई।
भारत के टॉप 10 हॉकी खिलाड़ी (Top 10 Indian Hockey Players)
क्रम | नाम | प्रमुख उपलब्धियाँ |
---|---|---|
1 | मेजर ध्यानचंद | 3 ओलंपिक गोल्ड (1928, 1932, 1936), 400+ अंतरराष्ट्रीय गोल |
2 | रूप सिंह | 2 ओलंपिक गोल्ड, 1932 फाइनल में 10 गोल |
3 | बलबीर सिंह सीनियर | 3 गोल्ड, 1952 फाइनल में 5 गोल (ओलंपिक रिकॉर्ड) |
4 | लेस्ली क्लॉडियस | 3 गोल्ड, 1 सिल्वर, 4 ओलंपिक में भागीदारी |
5 | उधम सिंह | 3 गोल्ड, 1 सिल्वर, हर पोजीशन में शानदार प्रदर्शन |
6 | अजीत पाल सिंह | 1975 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान, 3 बार ओलंपिक खिलाड़ी |
7 | के. डी. सिंह बाबू | 2 गोल्ड, ड्रिब्लिंग मास्टर, 1958 में पद्म श्री से सम्मानित |
8 | शंकर लक्ष्मण | 2 गोल्ड, 1 सिल्वर, 1966 एशियन गेम्स में कप्तान |
9 | धनराज पिल्लै | 4 ओलंपिक में भागीदारी, 1998 एशियन गेम्स में गोल्ड जीत |
10 | मोहम्मद शाहिद | 1980 ओलंपिक गोल्ड, अर्जुन पुरस्कार विजेता |

2. रूप सिंह , गोलों का बेमिसाल बादशाह
उपलब्धियाँ:
- ओलंपिक में 2 स्वर्ण पदक (1932, 1936)
- 1932 ओलंपिक फाइनल में 10 गोल
ध्यानचंद के छोटे भाई रूप सिंह ने भी भारतीय हॉकी को कई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। खासकर 1932 के ओलंपिक फाइनल में उनके 10 गोल आज भी ऐतिहासिक माने जाते हैं।
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3. बलबीर सिंह सीनियर , आज़ाद भारत का सितारा
उपलब्धियाँ:
- 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक (1948, 1952, 1956)
- 1952 ओलंपिक फाइनल में 5 गोल
बलबीर सिंह आज़ादी के बाद भारत की हॉकी उम्मीदों के केंद्र में रहे। उनकी गिनती भारत के सबसे महान स्ट्राइकरों में होती है। उनका 1952 में एक ही फाइनल में 5 गोल करना आज भी एक ओलंपिक रिकॉर्ड है।
4. लेस्ली क्लॉडियस , भरोसे का दूसरा नाम
उपलब्धियाँ:
- 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक (1948, 1952, 1956)
- 1 ओलंपिक रजत पदक (1960)
हाफबैक के रूप में खेलने वाले लेस्ली क्लॉडियस टीम की रीढ़ थे। वे चार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ियों में थे और अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनकी निरंतरता काबिल-ए-तारीफ रही।
5. उधम सिंह , हर भूमिका में माहिर
उपलब्धियाँ:
- 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक (1952, 1956, 1964)
- 1 ओलंपिक रजत पदक (1960)
उधम सिंह ने टीम में कई बार आक्रमण और बचाव दोनों में अपनी भूमिका निभाई। उनकी गति, संतुलन और टीम के लिए खेलने का जुनून उन्हें सबसे खास बनाता है।
6. अजीत पाल सिंह , वर्ल्ड कप विजेता कप्तान
उपलब्धियाँ:
- 1975 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान
- ओलंपिक में तीन बार भागीदारी (1968, 1972, 1976)
अजीत पाल सिंह का शांत स्वभाव और रणनीतिक सोच ने भारत को 1975 का हॉकी विश्व कप जिताया। यह भारत का अब तक का इकलौता विश्व कप खिताब है।
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7. के. डी. सिंह बाबू , ड्रिब्लिंग का उस्ताद
उपलब्धियाँ:
- 2 ओलंपिक स्वर्ण पदक (1948, 1952)
- पद्म श्री सम्मान (1958)
के. डी. सिंह बाबू की पासिंग और ड्रिब्लिंग क्षमता बेजोड़ थी। वे खेल की दिशा और गति दोनों को नियंत्रित कर टीम को जीत की ओर ले जाते थे।

8. शंकर लक्ष्मण , गोलकीपिंग की दीवार
उपलब्धियाँ:
- 2 ओलंपिक स्वर्ण पदक (1956, 1964)
- 1 ओलंपिक रजत पदक (1960)
भारतीय हॉकी के पहले बेहतरीन गोलकीपरों में शुमार, शंकर लक्ष्मण का साहस और सजगता टीम की सफलता में महत्वपूर्ण रही। 1966 में उन्होंने टीम की कप्तानी करते हुए एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक दिलाया।
9. धनराज पिल्लै , आधुनिक दौर का चेहरा
उपलब्धियाँ:
- 4 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व (1992, 1996, 2000, 2004)
- 1998 एशियाई खेलों में कप्तान रहते भारत को स्वर्ण दिलाया
धनराज पिल्लै अपनी रफ्तार, आक्रमण और ऊर्जा के लिए जाने जाते हैं। उनके दौर में भले ही टीम संघर्ष में रही, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से भारत को कई अहम जीत दिलाई।
10. मोहम्मद शाहिद , कला का जादूगर
उपलब्धियाँ:
- 1980 मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक
- अर्जुन पुरस्कार विजेता (1980-81)
मोहम्मद शाहिद की ड्रिब्लिंग देखने वालों के लिए एक अनुभव था। वे गेंद को ऐसे घुमाते कि विरोधी खिलाड़ी भ्रम में पड़ जाते। उनकी उपस्थिति ने भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयाँ दीं।
conclusion: Top 10 Indian Hockey Players of All Time || भारत के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी”
भारतीय हॉकी का इतिहास इन सितारों की बदौलत चमकदार रहा है। इन खिलाड़ियों की मेहनत, समर्पण और प्रतिभा ने भारत को हॉकी का सिरमौर बनाया। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह सभी खिलाड़ी प्रेरणा का स्रोत हैं, जो सिखाते हैं कि जुनून और कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य पाया जा सकता है।