मेरे प्यारे मित्रों जैसा की आप सभी जानते हैं , खेल सिर्फ पदक जीतने का नाम नहीं है, ये तो जज़्बातों, मेहनत और सपनों की कहानी होती है। खासकर ओलंपिक खेलों में, जहाँ हर खिलाड़ी अपने देश का झंडा ऊँचा करने के लिए सालों मेहनत करता है। भारत का ओलंपिक सफर भी ऐसे ही लम्हों से भरा पड़ा है, जब पूरे देश का दिल एक साथ धड़क उठा।ओलंपिक में भारत के 10 ऐसे पल, जिन्होंने हर भारतीय का दिल जीत लिया
आज हम आपको लेकर चलेंगे उन 10 ऐतिहासिक पलों में, जिन्होंने हर भारतीय के दिल में गर्व और खुशी की लहर दौड़ा दी।

1. 1948, हॉकी में पहली बार स्वतंत्र भारत का गोल्ड
1948, लंदन ओलंपिक। भारत ने पहली बार आज़ाद देश के रूप में ओलंपिक में हिस्सा लिया। फ़ाइनल में भारत का मुकाबला ब्रिटेन से था – वही ब्रिटेन, जिसने हमें 200 साल गुलाम रखा।
जब भारत ने 4-0 से जीत हासिल की, तो सिर्फ़ मैदान में नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल में आज़ादी का असली स्वाद उतर आया। कप्तान किशन लाल और टीम के बाकी खिलाड़ी इतिहास रच चुके थे।
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2. 1952, कुश्ती में पहला व्यक्तिगत मेडल
फ़िनलैंड के हेलसिंकी ओलंपिक में के. डी. जाधव ने भारत के लिए कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीता। ये भारत का पहला इंडिविजुअल ओलंपिक मेडल था।
सोचिए, बिना किसी आधुनिक ट्रेनिंग या सुविधाओं के, सिर्फ जुनून और मेहनत से ये मुकाम हासिल करना – यही तो असली खेल भावना है!
3. 1980, हॉकी का आखिरी गोल्ड
मॉस्को ओलंपिक में भारत ने आखिरी बार हॉकी में गोल्ड जीता। कप्तान वसमंत्र सिंह की अगुवाई में भारत ने पाकिस्तान को हराया।
ये जीत एक दौर के अंत जैसी थी, क्योंकि इसके बाद हॉकी में भारत का गोल्ड का सिलसिला थम गया। लेकिन इस पल ने हमें याद दिलाया कि कभी हॉकी के मैदान में भारत बेताज बादशाह था।
4. 1996 , लीएंडर पेस का टेनिस में ब्रॉन्ज
अटलांटा ओलंपिक में लीएंडर पेस ने टेनिस सिंगल्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 44 साल बाद किसी भारतीय खिलाड़ी ने व्यक्तिगत मेडल जीता।
पेस की जीत ने भारत में टेनिस को नया जीवन दिया और लाखों युवाओं को इस खेल की ओर खींचा।
5. 2008 , अभिनव बिंद्रा का पहला व्यक्तिगत गोल्ड
बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया।
ये भारत का पहला इंडिविजुअल गोल्ड मेडल था। उनकी सटीक निशानेबाजी और ठंडी मुस्कान आज भी हर खेल प्रेमी को याद है।
6. 2012 , लंदन ओलंपिक में 6 मेडल का रिकॉर्ड
ये ओलंपिक भारत के लिए खास रहा क्योंकि पहली बार हमने 6 मेडल जीते।
- सुशील कुमार – कुश्ती (सिल्वर)
- योगेश्वर दत्त – कुश्ती (ब्रॉन्ज)
- मैरी कॉम – बॉक्सिंग (ब्रॉन्ज)
- सायना नेहवाल – बैडमिंटन (ब्रॉन्ज)
- गगन नारंग – शूटिंग (ब्रॉन्ज)
- विजय कुमार – शूटिंग (सिल्वर)
ये वो साल था जब भारत ने साबित किया कि हम कई खेलों में दम रखते हैं, सिर्फ़ हॉकी तक सीमित नहीं।
7. 2016 , पी. वी. सिंधु का सिल्वर और साक्षी मलिक का ब्रॉन्ज
रियो ओलंपिक में पी. वी. सिंधु ने बैडमिंटन में सिल्वर जीतकर इतिहास बनाया। वो ओलंपिक सिल्वर जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
इसके अलावा साक्षी मलिक ने कुश्ती में ब्रॉन्ज जीतकर दिखा दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं।
8. 2020 (2021), नीरज चोपड़ा का गोल्ड
टोक्यो ओलंपिक (जो 2021 में हुआ) में नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड जीतकर देश को झूमने पर मजबूर कर दिया।
ये एथलेटिक्स में भारत का पहला ओलंपिक गोल्ड था। नीरज की ये जीत आज भी हर खेल प्रेमी के दिल में ताज़ा है।

9. 2020 (2021), हॉकी का ब्रॉन्ज और नई उम्मीद
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद मेडल जीता। जर्मनी को 5-4 से हराकर ब्रॉन्ज लाना सिर्फ़ जीत नहीं थी, ये हॉकी के पुनर्जन्म की शुरुआत थी।
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10. 2020 (2021), मीराबाई चानू का वेटलिफ्टिंग सिल्वर
मणिपुर की मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में सिल्वर जीतकर देश का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया। उनकी मेहनत, त्याग और मुस्कान ने पूरे देश का दिल जीत लिया।
conclusion :ओलंपिक में भारत के 10 ऐसे पल, जिन्होंने हर भारतीय का दिल जीत लिया
इन 10 पलों ने हमें सिखाया कि खेल सिर्फ़ जीत-हार का नाम नहीं, बल्कि देश के लिए दिल से खेलने का नाम है।
हर मेडल, हर उपलब्धि के पीछे सालों की मेहनत, त्याग और जज़्बा होता है। और यही कारण है कि जब कोई भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक में तिरंगा लहराता है, तो हर भारतीय का दिल गर्व से भर जाता है।