भारतीय हॉकी के 10 ऐसे रिकॉर्ड जो आज भी कायम हैं

भारत और हॉकी का रिश्ता किसी कहानी से कम नहीं है। एक समय था जब हॉकी सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि देश की पहचान बन चुकी थी। मैदान में जब भारतीय खिलाड़ी उतरते थे, तो पूरा स्टेडियम “भारत-भारत” के नारों से गूंज उठता था। भारतीय हॉकी टीम ने दुनिया में वो नाम कमाया, जो आज भी सुनकर गर्व होता है।भारतीय हॉकी के 10 ऐसे रिकॉर्ड जो आज भी कायम हैं

हालांकि वक्त के साथ क्रिकेट ने देश में अपनी जगह बना ली, लेकिन हॉकी के वो सुनहरे पन्ने आज भी लोगों के दिलों में दर्ज हैं। खास बात यह है कि भारतीय हॉकी ने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए, जिन्हें आज तक कोई तोड़ नहीं पाया।

चलिए, जानते हैं भारतीय हॉकी के 10 ऐसे रिकॉर्ड जो आज भी कायम हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

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1. ओलंपिक में लगातार 6 गोल्ड मेडल (1928,1956)

भारत ने 1928 से लेकर 1956 तक लगातार 6 बार ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता। ये कारनामा आज तक कोई भी टीम दोहरा नहीं सकी है। उस दौर में भारत की हॉकी टीम को “मैदान का सम्राट” कहा जाता था।

  1. एम्सटर्डम (1928)
  2. लॉस एंजेलिस (1932)
  3. बर्लिन (1936)
  4. लंदन (1948)
  5. हेलसिंकी (1952)
  6. मेलबर्न (1956)

इन छह ओलंपिक में भारत ने लगभग अपराजेय खेल दिखाया और दुनिया को हॉकी का नया चेहरा दिया।

2. ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड (1932)

1932 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भारत ने अमेरिका को 24-1 से हराकर इतिहास रच दिया। यह मैच आज भी हॉकी इतिहास में सबसे बड़े अंतर से जीत का उदाहरण है।
सिर्फ यही नहीं, भारत ने उस पूरे टूर्नामेंट में कुल 35 गोल दागे और खुद पर सिर्फ 2 गोल होने दिए।

3. लगातार 30 मैच जीतने का रिकॉर्ड

ओलंपिक में भारत ने 1928 से 1960 तक लगातार 30 मैच जीते। इतने लंबे समय तक किसी टीम का अपराजेय रहना अपने आप में एक मिसाल है। इस दौरान भारत ने ना सिर्फ गोल किए, बल्कि विरोधियों को हतप्रभ भी कर दिया।

4. सबसे ज्यादा ओलंपिक गोल्ड मेडल , 8

भारत आज भी ओलंपिक हॉकी में सबसे ज्यादा 8 गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम है। हालांकि बाद में नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन भारत का यह रिकॉर्ड अब तक कायम है।

5. ध्‍यानचंद का जादू : 1928, 1932 और 1936

अगर भारतीय हॉकी की बात हो और मेजर ध्यानचंद का नाम ना आए तो कहानी अधूरी रह जाती है।
1936 बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद ने अकेले ही जर्मनी को 8-1 से हराने में बड़ी भूमिका निभाई। कहा जाता है कि उस मैच को देखने खुद एडॉल्फ हिटलर आया था और ध्यानचंद को अपनी सेना में नौकरी देने का प्रस्ताव तक दिया था।
ध्यानचंद के गोल और उनका नियंत्रण आज भी एक ऐसा रिकॉर्ड हैं, जिन्हें आँकड़ों से मापा नहीं जा सकता।

6. एशियाई खेलों में लगातार दबदबा

भारत ने एशियाई खेलों में भी अपनी ताकत साबित की। शुरुआती कई एशियन गेम्स में भारत ने लगातार गोल्ड जीते और लंबे समय तक एशिया का “हॉकी किंग” बना रहा।
1958 और 1962 के एशियन गेम्स फाइनल आज भी यादगार हैं, जहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच रोमांचक भिड़ंत होती थी।

7. सबसे ज्यादा वर्ल्ड कप फाइनल में एशियाई उपस्थिति

भारत 1975 में पहला और अब तक का इकलौता हॉकी वर्ल्ड कप जीतने वाला एशियाई देश बना। उस समय भारतीय टीम ने पाकिस्तान को 2-1 से हराकर यह कारनामा किया।
यह रिकॉर्ड आज भी भारत के नाम दर्ज है और हॉकी प्रेमियों के लिए गर्व की बात है।

8. ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल (400+)

भारत ने अब तक ओलंपिक हॉकी में 400 से ज्यादा गोल किए हैं। यह किसी भी देश के लिए एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। भारत की आक्रामक हॉकी और शानदार फॉरवर्ड लाइन इस रिकॉर्ड की असली वजह रही।

9. सबसे ज्यादा जीत पाकिस्तान के खिलाफ

भारत-पाकिस्तान की हॉकी प्रतिद्वंद्विता किसी जंग से कम नहीं रही। भारत ने कई बड़े टूर्नामेंट में पाकिस्तान को हराया और अपना दबदबा कायम रखा।
खासतौर पर 1956, 1964 और 1975 के बड़े फाइनल्स में भारत ने पाकिस्तान को हराकर सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराया।

10. ओलंपिक में 3 बार क्लीन स्वीप गोल्ड

1928, 1932 और 1936 में भारत ने ओलंपिक हॉकी में ऐसा प्रदर्शन किया कि विरोधी टीमों को उनके सामने गोल करने का मौका तक नहीं मिला।

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  1. 1928 में भारत ने बिना कोई गोल खाए खिताब जीता।
  2. 1932 में भारत ने सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
  3. 1936 में ध्यानचंद और उनकी टीम ने जर्मनी को उसी के घर में हराकर इतिहास बनाया।

conclusion :भारतीय हॉकी के 10 ऐसे रिकॉर्ड जो आज भी कायम हैं

दोस्तों, भारतीय हॉकी की यह सुनहरी कहानी सिर्फ रिकॉर्ड्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की उस ताकत की पहचान है जिसने कभी पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।आज भले ही क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल बन चुका हो, लेकिन हॉकी के ये रिकॉर्ड हमें याद दिलाते हैं कि भारत कभी इस खेल का बादशाह था। यह सफर सिर्फ अतीत की यादें नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है कि मेहनत और टीमवर्क से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।

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