भारत का ओलंपिक सफर | 1900 से अब तक की उपलब्धियां

दोस्तों ,जैसा की आप सभी जानते हैं |अगर हम भारत के ओलंपिक सफर की कहानी सुनें, तो ये किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। इसमें है रोमांच, संघर्ष, जीत, हार, और वो पल जिन्होंने पूरे देश को गर्व से भर दिया। भारत ने पहली बार ओलंपिक में कदम रखा 1900 में और आज 2024 तक यह सफर कई उतार-चढ़ाव और शानदार पलों से भरा हुआ है। चलिए इस सफर को ऐसे समझते हैं,भारत का ओलंपिक सफर | 1900 से अब तक की उपलब्धियां जैसे कोई दोस्त आपको कहानी सुना रहा हो।

1. शुरुआत: पेरिस ओलंपिक 1900

भारत का ओलंपिक डेब्यू हुआ पेरिस ओलंपिक 1900 में, और वो भी सिर्फ एक खिलाड़ी के साथ – नॉर्मन प्रिचार्ड। उन्होंने एथलेटिक्स में भाग लिया और कमाल कर दिया – 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल्स में दो सिल्वर मेडल जीत लिए।
ये था भारत का पहला ओलंपिक मेडल, और मज़ेदार बात ये है कि उस वक्त भारत ब्रिटिश शासन में था, फिर भी यह उपलब्धि “भारत” के नाम पर दर्ज हुई।

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2. हॉकी का स्वर्णिम युग (1928–1956)

अगर ओलंपिक में भारत की सबसे सुनहरी कहानी है, तो वो है हॉकी

  1. 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारत ने पहली बार हॉकी में गोल्ड जीता।
  2. इसके बाद 1956 तक भारत ने लगातार 6 गोल्ड मेडल जीते – 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956।
  3. इस दौर में भारत की हॉकी टीम इतनी खतरनाक थी कि 1928 से 1960 तक भारत ने 30 में से 29 मैच जीते।
  4. महान खिलाड़ी ध्यानचंद का नाम इस युग में अमर हो गया, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी हॉकी स्टिक में चुंबक था।

3. आज़ादी के बाद का ओलंपिक जोश

1947 में आज़ादी के बाद 1948 लंदन ओलंपिक भारत के लिए बेहद खास था।

  1. भारत ने आज़ाद राष्ट्र के रूप में पहली बार हिस्सा लिया और हॉकी में इंग्लैंड को 4-0 से हराकर गोल्ड जीता।
  2. ये जीत सिर्फ एक मेडल नहीं थी, बल्कि ये ब्रिटिश राज से मुक्ति का खेल के मैदान पर जवाब भी था।

4. 1960 से 1980 : बदलाव का दौर

1960 रोम ओलंपिक में भारत हॉकी में सिल्वर पर आ गया, लेकिन 1964 टोक्यो में फिर से गोल्ड वापस ले आया।
हालांकि, इसके बाद भारतीय हॉकी की बादशाहत थोड़ी कमजोर हुई।

  1. 1976 में पहली बार भारत हॉकी में कोई मेडल नहीं जीत पाया।
  2. लेकिन 1980 मास्को ओलंपिक में फिर से हॉकी का गोल्ड जीतकर इतिहास बनाया।
    इसके बाद हॉकी का ओलंपिक डॉमिनेशन धीरे-धीरे खत्म होने लगा।

5. 1990 के दशक : संघर्ष और नई उम्मीदें

90 का दशक भारत के लिए मेडल के मामले में फीका रहा। हॉकी में मेडल नहीं, बाकी खेलों में भी बड़ी उपलब्धि नहीं।
लेकिन इस दौरान शूटिंग, टेनिस और बैडमिंटन में धीरे-धीरे भारत की उपस्थिति बढ़ने लगी।

6. 2000 सिडनी ओलंपिक : मिल्खा से लीपीक तक

2000 में भारत के लिए सबसे चमकता नाम था कर्णम मल्लेश्वरी, जिन्होंने वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज जीतकर भारत को महिला वर्ग का पहला ओलंपिक मेडल दिलाया।
इससे पहले 1960 के दशक में मिल्खा सिंह और पी.टी. ऊषा जैसे एथलीटों ने भले ही मेडल न जीता हो, लेकिन भारत का नाम दुनिया भर में पहुंचाया था।

7. 2008 बीजिंग : व्यक्तिगत गोल्ड का सपना पूरा

2008 बीजिंग ओलंपिक भारत के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।

  1. अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग (10m एयर राइफल) में गोल्ड जीतकर भारत को उसका पहला व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड दिलाया।
  2. इसके अलावा बॉक्सिंग में विजेंद्र सिंह और रेसलिंग में सुशील कुमार ने ब्रॉन्ज जीतकर भारत के मेडल टैली को मजबूत किया।

8. 2012 लंदन : सबसे सफल ओलंपिक

2012 लंदन ओलंपिक भारत के इतिहास का सबसे सफल ओलंपिक रहा (तब तक)।

  1. सुशील कुमार – रेसलिंग (सिल्वर)
  2. विजय कुमार – शूटिंग (सिल्वर)
  3. मैरी कॉम – बॉक्सिंग (ब्रॉन्ज)
  4. साइना नेहवाल – बैडमिंटन (ब्रॉन्ज)
  5. योगेश्वर दत्त – रेसलिंग (ब्रॉन्ज)
    कुल 6 मेडल – जिसमें 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज थे।

9. 2016 रियो : कम मेडल, बड़ा असर

रियो में भले ही मेडल सिर्फ 2 मिले –

  1. साक्षी मलिक – रेसलिंग (ब्रॉन्ज)
  2. पी.वी. सिंधु – बैडमिंटन (सिल्वर)
    लेकिन इन दोनों ने पूरे देश में खेलों के लिए नया जोश पैदा किया, खासकर महिलाओं के लिए।

10. 2020 टोक्यो : नया इतिहास

2020 टोक्यो ओलंपिक (कोविड के कारण 2021 में हुआ) भारत के लिए सबसे यादगार ओलंपिक में से एक रहा।

  1. नीरज चोपड़ा – जेवलिन थ्रो (गोल्ड) – भारत का पहला एथलेटिक्स गोल्ड।
  2. मीराबाई चानू – वेटलिफ्टिंग (सिल्वर)
  3. रवि दहिया – रेसलिंग (सिल्वर)
  4. लवलीना बोरगोहेन – बॉक्सिंग (ब्रॉन्ज)
  5. पुरुष हॉकी टीम – (ब्रॉन्ज) – 41 साल बाद हॉकी में मेडल
  6. पी.वी. सिंधु – बैडमिंटन (ब्रॉन्ज)
  7. बजरंग पुनिया – रेसलिंग (ब्रॉन्ज)
    कुल 7 मेडल – भारत का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन।

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10 रोचक फैक्ट्स : जो शायद आपको न पता हों

  1. भारत का पहला ओलंपिक मेडल 1900 में आया था और वह भी एक अकेले खिलाड़ी ने जीता था।
  2. ध्यानचंद को 1936 बर्लिन ओलंपिक में हिटलर ने जर्मन सेना में शामिल होने का ऑफर दिया था।
  3. हॉकी में भारत ने लगातार 6 गोल्ड मेडल जीते – यह रिकॉर्ड आज भी कायम है।
  4. 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में के.डी. जाधव ने भारत का पहला व्यक्तिगत मेडल जीता (कुश्ती में ब्रॉन्ज)।
  5. कर्णम मल्लेश्वरी भारत की पहली महिला ओलंपिक मेडलिस्ट हैं।
  6. अभिनव बिंद्रा का गोल्ड भारत का पहला और अब तक का एकमात्र व्यक्तिगत शूटिंग गोल्ड है।
  7. 2020 टोक्यो में नीरज चोपड़ा ने भारत का पहला एथलेटिक्स गोल्ड जीता।
  8. 2012 लंदन ओलंपिक में भारत ने अब तक के सबसे ज्यादा 6 मेडल जीते थे, जिसे 2020 में 7 मेडल से तोड़ा।
  9. 1980 मास्को ओलंपिक के बाद 2021 में हॉकी में मेडल वापस आया।
  10. पी.वी. सिंधु भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीते।

conclusion:भारत का ओलंपिक सफर | 1900 से अब तक की उपलब्धियां

भारत का ओलंपिक सफर सिर्फ मेडल की गिनती नहीं है, ये उस जुनून और सपने की कहानी है जो हर भारतीय खिलाड़ी अपने दिल में लेकर मैदान में उतरता है। 1900 में एक खिलाड़ी से शुरू हुआ ये सफर आज करोड़ों लोगों की उम्मीद और गर्व बन चुका है। आने वाले सालों में भारत के पास न सिर्फ मेडल टैली बढ़ाने का मौका है, बल्कि खेलों में नई पीढ़ी को प्रेरित करने का भी।

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