प्रो कबड्डी लीग (PKL), इंडिया – एक खेल की नई पहचान

कबड्डी – गाँव से लेकर इंटरनेशनल मंच तक

भारत की मिट्टी की खुशबू अगर किसी खेल में सबसे ज़्यादा महसूस होती है तो वो है कबड्डी। यह खेल न तो महंगे जूतों की मांग करता है, न ही बड़े-बड़े मैदानों की। बस चाहिए हिम्मत, दमदार साँसें और जीतने का जज़्बा। पहले कबड्डी को सिर्फ़ गाँवों और मेलों में ही खेला जाता था, लेकिन जब से प्रो कबड्डी लीग (PKL) आई है, प्रो कबड्डी लीग (PKL), इंडिया – एक खेल की नई पहचानतब से इस खेल को इंटरनेशनल लेवल पर नई पहचान मिली है।

प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत कैसे हुई?

2014 में मशहूर बिज़नेस ग्रुप स्टार स्पोर्ट्स और मशाल स्पोर्ट्स ने मिलकर प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत की। इसका मकसद साफ़ था – कबड्डी को भी वैसा ही सम्मान दिलाना जैसा क्रिकेट और फुटबॉल को मिलता है।

पहला सीज़न 26 जुलाई 2014 को खेला गया।

इस लीग ने तुरंत ही दर्शकों का दिल जीत लिया।

पहले सीज़न की कामयाबी के बाद यह टूर्नामेंट हर साल आयोजित होने लगा।

PKL की ख़ासियत

प्रो कबड्डी लीग का सबसे बड़ा कमाल यह रहा कि इसने कबड्डी को एक ग्लोबल ब्रांड बना दिया।

खिलाड़ी न सिर्फ़ भारत से बल्कि ईरान, कोरिया, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों से भी आते हैं।

रंग-बिरंगे स्टेडियम, टीवी प्रसारण और डिजिटल स्ट्रीमिंग ने इसे हर घर तक पहुँचा दिया।

PKL की वजह से आज कबड्डी सिर्फ़ एक देसी खेल नहीं, बल्कि ग्लैमरस स्पोर्ट बन चुका है।

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PKL की टीमें

शुरुआत में PKL में 8 टीमें खेला करती थीं। लेकिन समय के साथ इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि अब ये 12 टीमों की लीग बन चुकी है। टीमें इस प्रकार हैं:

1. जयपुर पिंक पैंथर्स

2. पटना पाइरेट्स

3. बेंगलुरु बुल्स

4. यू मुम्बा

5. तेलुगु टाइटन्स

6. हरियाणा स्टीलर्स

7. बengal Warriors

8. तमिल थलाइवाज़

9. गुजरात जायंट्स

10. दबंग दिल्ली के.सी.

11. यूपी योद्धा

12. पुनेरी पलटन

हर टीम की अपनी अलग पहचान, रंग और स्टार खिलाड़ी होते हैं, जो दर्शकों के बीच जबरदस्त क्रेज़ पैदा करते हैं।

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सबसे सफल टीमें

पटना पाइरेट्स – यह टीम PKL की सबसे ज़्यादा सफल टीम मानी जाती है। इसने लगातार तीन बार (2016, 2017) खिताब जीता।

जयपुर पिंक पैंथर्स – पहले सीज़न की चैंपियन रही और बॉलीवुड स्टार अभिषेक बच्चन इसकी ओनरशिप संभालते हैं।

बengal Warriors और दबंग दिल्ली भी हाल के सीज़नों में काफी मज़बूत रही हैं।

PKL ने दिए स्टार खिलाड़ी

PKL की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने कई नए सितारों को जन्म दिया।

अजय ठाकुर – आईस मैन” कहे जाने वाले अजय अपनी दमदार रेडिंग के लिए मशहूर हुए।

प्रदीप नरवाल – डबकी किंग” प्रदीप ने अपनी रेडिंग से इतिहास रच दिया और PKL का सबसे बड़ा नाम बने।

पवन सेहरावत – अपनी तेज़ और ताक़तवर रेडिंग से उन्होंने सभी डिफेंडरों के पसीने छुड़ा दिए।

अनूप कुमार – कप्तान कूल के नाम से मशहूर, जिन्होंने कबड्डी को स्मार्टनेस सिखाई।

फज़ल अत्राचली – ईरान से आने वाले इस डिफेंडर ने साबित किया कि कबड्डी अब सिर्फ़ भारत तक सीमित नहीं।

PKL का फॉर्मेट

हर टीम लीग स्टेज में सभी टीमों से भिड़ती है।

इसके बाद प्वाइंट टेबल के आधार पर टॉप 6 टीमें प्लेऑफ में पहुँचती हैं।

फिर क्वालीफ़ायर और एलिमिनेटर के बाद फाइनल खेला जाता है।

इस फॉर्मेट ने कबड्डी को और भी रोमांचक बना दिया है।

PKL और दर्शकों का प्यार

कबड्डी पहले सिर्फ़ मेलों और गाँवों में सीमित थी। लोग मैदान में जाकर देखते थे। लेकिन PKL ने इसे टीवी और मोबाइल स्क्रीन पर ला दिया।

अब हर मैच करोड़ों लोग देखते हैं।

सोशल मीडिया पर भी इसकी धूम रहती है।

टिकट बिकते ही मिनटों में हाउसफुल हो जाते हैं।

खिलाड़ियों की ज़िंदगी में बदलाव

पहले कबड्डी खिलाड़ी ज्यादा कमाई नहीं कर पाते थे, लेकिन PKL ने उनकी ज़िंदगी बदल दी।

अब खिलाड़ी लाखों-करोड़ों में नीलाम होते हैं।

उन्हें ब्रांड एंडोर्समेंट और विज्ञापन भी मिलने लगे हैं।

उनकी पहचान सिर्फ़ गाँव तक नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में हो गई है।

PKL ने कबड्डी को क्या दिया?

1. इंटरनेशनल पहचान – अब कबड्डी को विदेशी खिलाड़ी भी अपनाने लगे हैं।

2. आर्थिक मज़बूती – खिलाड़ियों को अब अच्छी सैलरी और सुविधाएँ मिल रही हैं।

3. स्पोर्ट्स कल्चर – क्रिकेट के अलावा लोगों के पास एक और प्रोफेशनल लीग देखने का विकल्प आया।

4. युवा प्रेरणा – गाँव-गाँव से बच्चे अब कबड्डी सीखकर PKL में खेलने का सपना देखने लगे हैं।

PKL का भविष्य

आज PKL भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में देखी जाती है। आने वाले समय में यह लीग और भी बड़ी होने वाली है।

शायद इसमें और नई टीमें जुड़ें।

विदेशी खिलाड़ियों की संख्या बढ़े।

कबड्डी को ओलंपिक तक पहुँचाने में PKL का अहम योगदान हो सकता है।

निष्कर्ष प्रो कबड्डी लीग (PKL), इंडिया – एक खेल की नई पहचान

प्रो कबड्डी लीग ने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी खेल को सही प्लेटफॉर्म और मार्केटिंग मिले तो वो भी क्रिकेट जैसा बड़ा बन सकता है। इसने लाखों बच्चों को नई प्रेरणा दी है और करोड़ों दर्शकों को गर्व का अहसास कराया है। आज कबड्डी सिर्फ़ एक गाँव का खेल नहीं, बल्कि भारत की शान बन चुका है। और इसकी सबसे बड़ी वजह है PKL।

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