ओलंपिक में भारत की हॉकी यात्रा | रिकॉर्ड और उपलब्धियां

Hello friends जैसा की आप सभी जानते है ,भारत और हॉकी का रिश्ता सिर्फ एक खेल तक सीमित नहीं है, यह हमारे गौरव, सम्मान और खेल भावना का प्रतीक है। जब-जब ओलंपिक खेलों की बात होती है, भारत की हॉकी टीम का नाम सुनहरा इतिहास लेकर सामने आता है। 20वीं सदी के शुरुआती दशकों से लेकर आज तक, भारत ने ओलंपिक हॉकी में ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जिन पर पूरी दुनिया गर्व करती है।ओलंपिक में भारत की हॉकी यात्रा | रिकॉर्ड और उपलब्धियां

भारत ने ओलंपिक हॉकी में कुल 8 स्वर्ण पदक, 1 रजत और 3 कांस्य पदक जीते हैं, जो किसी भी देश के लिए एक अद्वितीय उपलब्धि है। लेकिन यह यात्रा सिर्फ पदकों की नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और जुनून की भी कहानी है।

भारत की हॉकी ओलंपिक यात्रा की शुरुआत

भारत ने पहली बार 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक में हॉकी खेल में हिस्सा लिया। यह वह दौर था जब भारतीय टीम ने दुनिया को अपनी ताकत दिखाई।

  • 1928 एम्स्टर्डम – भारत ने सभी मैच जीतकर पहला स्वर्ण पदक जीता। इस टीम के स्टार थे ध्यानचंद, जिनके खेल को देखकर उन्हें “हॉकी का जादूगर” कहा गया।
  • 1932 लॉस एंजिल्स – भारत ने अमेरिका को 24-1 के विशाल अंतर से हराया, जो आज भी एक रिकॉर्ड है।
  • 1936 बर्लिन – नाजी जर्मनी के सामने भारत ने 8-1 से जीत हासिल की। ध्यानचंद ने उस फाइनल में अपनी हॉकी स्टिक का जादू दिखाकर दुनिया को हैरान कर दिया।

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स्वर्णिम युग (1928 , 1956)

इस दौरान भारत ने लगातार 6 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956)।

  • 1948 लंदन ओलंपिक – यह जीत भारत के लिए खास थी, क्योंकि यह आज़ादी के बाद का पहला ओलंपिक था। भारत ने फाइनल में इंग्लैंड को 4-0 से हराया।
  • 1952 हेलसिंकी – भारत ने फाइनल में नीदरलैंड को 6-1 से हराया।
  • 1956 मेलबर्न – फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर भारत ने लगातार छठा स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

यह दौर भारतीय हॉकी के लिए स्वर्णाक्षरों में लिखा गया। टीम की फिटनेस, तकनीक और एकजुटता का मुकाबला कोई नहीं कर पाता था।

चुनौतियों का दौर (1960 , 1980)

1956 के बाद भारतीय हॉकी में गिरावट आने लगी।

  • 1960 रोम ओलंपिक – भारत ने फाइनल में पाकिस्तान से हारकर रजत पदक जीता।
  • 1964 टोक्यो – भारत ने फिर वापसी करते हुए पाकिस्तान को 1-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।
  • 1968 मेक्सिको और 1972 म्यूनिख – भारत कांस्य पदक पर सिमट गया।
  • 1980 मॉस्को – भारत ने आखिरी बार ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता।

इसके बाद कृत्रिम टर्फ (AstroTurf) के आने से भारतीय टीम को खेल की नई तकनीक में ढलने में समय लगा, जिससे प्रदर्शन प्रभावित हुआ।

गिरावट और संघर्ष (1984 , 2016)

1980 के बाद भारत ओलंपिक हॉकी में पदक जीतने के लिए तरसने लगा।

  • 1984 से 2012 तक, भारत का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा।
  • 2012 लंदन ओलंपिक – भारत आखिरी पायदान पर रहा, जो इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन था।
    इस दौर में चयन विवाद, कोच बदलना, फंड की कमी और फिटनेस की समस्याओं ने टीम को कमजोर किया।

नई शुरुआत और वापसी (2016 , 2021)

  • 2016 रियो ओलंपिक – भारत ने क्वार्टरफाइनल तक पहुंचकर उम्मीद जगाई, लेकिन पदक से चूक गया।
  • 2021 टोक्यो ओलंपिक (2020 के लिए आयोजित) – भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीतकर इतिहास रच दिया। मनप्रीत सिंह की कप्तानी में भारत ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीता।
    यह जीत करोड़ों भारतीयों के लिए गर्व का पल था और हॉकी के पुनर्जागरण की शुरुआत भी।

ओलंपिक में भारत के हॉकी पदक रिकॉर्ड

वर्षमेजबान शहरपदकफाइनल में विपक्षी
1928एम्स्टर्डमस्वर्णनीदरलैंड
1932लॉस एंजिल्सस्वर्णअमेरिका
1936बर्लिनस्वर्णजर्मनी
1948लंदनस्वर्णइंग्लैंड
1952हेलसिंकीस्वर्णनीदरलैंड
1956मेलबर्नस्वर्णपाकिस्तान
1960रोमरजतपाकिस्तान
1964टोक्योस्वर्णपाकिस्तान
1968मेक्सिकोकांस्यजर्मनी
1972म्यूनिखकांस्यनीदरलैंड
1980मॉस्कोस्वर्णस्पेन
2021टोक्योकांस्यजर्मनी

भारतीय हॉकी के ओलंपिक सितारे

  1. ध्यानचंद – हॉकी के जादूगर, जिनके नाम तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक हैं।
  2. बलबीर सिंह सीनियर – 1948, 1952 और 1956 में स्वर्ण पदक विजेता, फाइनल में सर्वाधिक गोल का रिकॉर्ड।
  3. कर्नल गुरबख्श सिंह – 1964 स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान।
  4. मनप्रीत सिंह – 2021 कांस्य पदक जीतने वाले कप्तान।
  5. पी.आर. श्रीजेश – टोक्यो में शानदार गोलकीपिंग से टीम को पदक दिलाया।

भारत की ओलंपिक हॉकी यात्रा से सीख

  • मेहनत और टीमवर्क से असंभव भी संभव है।
  • बदलाव को अपनाना जरूरी है, चाहे वह खेल की तकनीक हो या रणनीति।
  • युवा खिलाड़ियों में निवेश करना भविष्य के लिए जरूरी है।

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conclusion:ओलंपिक में भारत की हॉकी यात्रा | रिकॉर्ड और उपलब्धियां

भारत की ओलंपिक हॉकी यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही है। जहां एक समय भारत का दबदबा था, वहीं बाद में संघर्ष का दौर भी आया। लेकिन टोक्यो 2021 की कांस्य जीत ने साबित कर दिया कि भारतीय हॉकी फिर से शिखर पर लौट सकती है। अब नजरें पेरिस 2024 और उसके आगे के ओलंपिक पर हैं, जहां भारत फिर से स्वर्णिम इतिहास लिखने का सपना देख रहा है।

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