टोक्यो बनाम पेरिस: पिछले ओलंपिक और इस ओलंपिक में क्या फर्क है?

दोस्तों जैसा की आप सभी जानते हैं ,जब हम ओलंपिक की बात करते हैं, तो सिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि उसका पूरा माहौल, टेक्नोलॉजी, खिलाड़ियों की तैयारी, मेडल टेबल और होस्ट सिटी का कल्चर भी बदल जाता है। टोक्यो 2020 (जो असल में 2021 में हुआ) और पेरिस 2024, दोनों अपने-अपने तरीके से यूनिक थे। चलो भाई, इस पूरे फर्क को आसान और मजेदार अंदाज़ में समझते हैं।टोक्यो बनाम पेरिस: पिछले ओलंपिक और इस ओलंपिक में क्या फर्क है?

1. टाइमिंग और माहौल का फर्क

टोक्यो ओलंपिक एक ऐसी दुनिया में हुआ, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी। स्टेडियम में दर्शक नहीं थे, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग हर जगह थी।
वहीं पेरिस ओलंपिक में ये सब बंधन खत्म हो चुके हैं। यहां फैंस ने स्टेडियम में जाकर पूरी एनर्जी के साथ चीयर किया। माहौल में जोश और रंगत ज़्यादा थी।

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2. होस्ट सिटी का कल्चर

  1. टोक्यो (जापान): डिसिप्लिन, टेक्नोलॉजी और परफेक्शन के लिए मशहूर। यहां हर चीज़ टाइम पर और सटीक थी।
  2. पेरिस (फ्रांस): कला, फैशन और रोमांस का शहर। यहां ओपनिंग सेरेमनी में ही एफिल टॉवर और सीन नदी ने दिल जीत लिया।

3. ओपनिंग सेरेमनी का अंदाज़

टोक्यो में ओपनिंग सेरेमनी सिम्पल और इमोशनल थी, क्योंकि कोविड के दौर में ज्यादा भीड़-भाड़ संभव नहीं थी।
पेरिस में ये सेरेमनी बिलकुल फिल्मी और ग्रैंड थी, पानी के ऊपर फ्लोटिंग स्टेज और पूरे शहर को इवेंट में बदल देना — पहली बार ऐसा हुआ।

4. खेलों की लिस्ट में बदलाव

  1. टोक्यो में नए खेल जैसे स्केटबोर्डिंग, स्पोर्ट क्लाइम्बिंग, और सर्फिंग को शामिल किया गया था।
  2. पेरिस में पहली बार ब्रेकडांसिंग आया है, जिसे “ब्रेकिंग” कहा जाता है। ये स्ट्रीट कल्चर और ओलंपिक के बीच एक नया कनेक्शन है।

5. भारत का प्रदर्शन

  1. टोक्यो 2020: भारत ने 1 गोल्ड, 2 सिल्वर, और 4 ब्रॉन्ज मिलाकर 7 मेडल जीते (भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन)।
  2. पेरिस 2024: भारत ने इससे भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए कई इवेंट्स में मेडल जीते, खासकर एथलेटिक्स और शूटिंग में।

6. तकनीक का लेवल

टोक्यो में COVID प्रोटोकॉल के कारण रोबोट्स, टच-फ्री सिस्टम और वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस का खूब इस्तेमाल हुआ।
पेरिस में AI और हाई-टेक कैमरा सिस्टम का इस्तेमाल हुआ, जिससे लाइव कवरेज और स्लो-मोशन रीप्ले और भी बेहतर हो गया।

7. फैन्स का एक्सपीरियंस

टोक्यो में फैन्स सिर्फ टीवी और मोबाइल के जरिए खेल देख पा रहे थे।
पेरिस में हजारों फैंस ने स्टेडियम में लाइव मैच देखे, और फैन जोन में म्यूजिक, फूड और स्क्रीनिंग का मज़ा लिया।

8. मेडल टेबल का अंतर

  1. टोक्यो में अमेरिका टॉप पर रहा, उसके बाद चीन और जापान थे।
  2. पेरिस में टॉप पोजीशन के लिए अमेरिका, चीन और ग्रेट ब्रिटेन के बीच कड़ी टक्कर हुई।

9. पर्यावरण के प्रति सोच

टोक्यो ने भी सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान दिया, लेकिन पेरिस ने इसे और आगे ले जाकर ज्यादातर जगहों पर री-साइकल्ड मटेरियल का इस्तेमाल किया और इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया।

10. खिलाड़ियों का मूड और फ्रीडम

टोक्यो में कोविड के डर और नियमों के कारण खिलाड़ी ज्यादा खुलकर नहीं मिल पाए।
पेरिस में खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर ओपनली फैन्स के साथ फोटो, वीडियो और व्लॉग शेयर किए, जिससे खेल और दर्शकों का रिश्ता और मजबूत हुआ।

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पेरिस बनाम टोक्यो: 10 रोचक फैक्ट्स

  1. टोक्यो ओलंपिक इतिहास का पहला ओलंपिक था जो एक साल लेट हुआ।
  2. पेरिस 2024 पहला ऐसा ओलंपिक है जिसकी ओपनिंग सेरेमनी स्टेडियम के बाहर हुई।
  3. टोक्यो में 206 देशों के खिलाड़ी आए, पेरिस में ये संख्या और भी बढ़कर 210+ हो गई।
  4. टोक्यो में मैस्कॉट का नाम Miraitowa था, पेरिस में मैस्कॉट Phryges है।
  5. पेरिस 2024 में पहली बार ब्रेकडांसिंग को ओलंपिक में शामिल किया गया।
  6. टोक्यो में ज्यादातर वेन्यू बिना दर्शकों के रहे, पेरिस में लगभग सभी फुल कैपेसिटी में थे।
  7. पेरिस ने ओलंपिक के लिए ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट और साइकिलिंग को बढ़ावा दिया।
  8. टोक्यो ने वर्चुअल रियलिटी से ट्रेनिंग में मदद की, पेरिस ने AI-कोचिंग सिस्टम यूज़ किया।
  9. पेरिस में ओलंपिक विलेज को बाद में पब्लिक हाउसिंग में बदला जाएगा।
  10. टोक्यो का खर्च ज्यादा था, लेकिन पेरिस ने बजट को कंट्रोल में रखा।

conclusion:टोक्यो बनाम पेरिस: पिछले ओलंपिक और इस ओलंपिक में क्या फर्क है?

भाई, टोक्यो और पेरिस दोनों ओलंपिक अपने-अपने अंदाज़ में यादगार रहे।
टोक्यो ने हमें सिखाया कि मुश्किल हालात में भी खेल जारी रह सकते हैं, जबकि पेरिस ने दिखाया कि खेल सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं — ये पूरे शहर का जश्न बन सकते हैं।

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